Saturday, June 4, 2011

"बीते पलों के अफसाने लिख रहा हूँ ,

"बीते पलों के अफसाने लिख रहा हूँ ,
 जिंदिगी में तेरे तराने लिख रहा हूँ ||

 काटे नहीं कटते ये दिन और ये रातें ,
 वक़्त कटाने के बहाने लिख रहा हूँ ||

 तेरे बाँहों में उस चौदंवी शब् की रात में,
 देखे थे जो सपने सुहाने लिख रहा हूँ ||

 वो तुझको हँसाना वो तुझको मनाना ,
 तेरे मेरे प्यार की दास्तानें लिख रहा हूँ ||

 कही धुंधली न पड़ जायें वो यादें हमारी ,
 नई कलम से गीत पुराने लिख रहा हूँ ||

 जबसे छोड़ा है तूने तन्हा हमें अकेला ,
 ग़ज़लों में बेवफाई के किस्से लिख रहा हूँ ||
                              
 -राहुल 'राज'

Wednesday, April 6, 2011

नारी शक्ति

इस धरा पर प्यार की सौगात है नारी
कुछ महकते लम्हों की ,बरसात है नारी !!
ये तेरी नहीं 'राहुल' , हर जुंबा की बात है
हर लहलहाती जिंदिगी का, एक राज़ है नारी !!
होती है छलनी नजरों से ,वो रोज ही देखो
विषपान में तो कम से कम ,महाकाल है नारी !!
चूल्हा फूंककर देखो ,ऐ बस्ती फूंकने वालो ,
घर -घर में प्रेमदीप की ,ज्योति है नारी !!
क्या पूछते हो दोस्त मुझसे ,खूबियाँ उसकी
इंसानियत का सबसे ,उम्दा नाम है नारी !!
जब-जब धरती पे अन्याय हुआ है
कभी काली कभी दुर्गा कभी लक्ष्मीबाई है नारी !!
भरती है रंग जिंदिगी के , कोरे चित्र में,
हर रूप में एक जादुई , फनकार है नारी !!
कभी माँ कभी बहना कभी मुहब्बत है
कभी यशोदा कभी जोधा कभी राधा है नारी !!


                                                      -राहुल 'राज़'