भक्त कहे भगवान से , ये कैसा संयोग ।
मुझको तो दाना नहीं , खुद को छप्पन भोग ।।
मुझको तो दाना नहीं , खुद को छप्पन भोग ।।
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नित्य आइना देखकर , रह जाता हूँ मौन ।
जब ये ही उल्टा कहे , सच बतलाए कौन ।।
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सिर्फ मिठाई मांग ली , दीवाली की रात ।
बच्चा भूखा सो गया , माँ रोई सब रात ॥
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आँखों में छाई नमी , होठों पे मुस्कान ।
मात-पिता ने जब किया , निज कन्या का दान ॥
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मन्दिर मस्ज़िद सब लखे , घूम लिया हर धाम ।
माँ के आँचल में मिले , हर मज़हब के राम ॥
माँ के आँचल में मिले , हर मज़हब के राम ॥
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वर्तमान को देखकर , रोते राधा - श्याम ।
प्रेम गली में हो रहा , प्रेम स्वयं नीलाम ॥
प्रेम गली में हो रहा , प्रेम स्वयं नीलाम ॥
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जादूगरनी है उसे , हर जादू का ज्ञान ।
मेरे सर पे हाथ रख , गायब करे थकान ॥
मेरे सर पे हाथ रख , गायब करे थकान ॥
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दूर भले ही तन रहे , मन लेकिन हो साथ ।
शर्त अगर मंजूर हो , तो फिर थामो हाथ ॥
शर्त अगर मंजूर हो , तो फिर थामो हाथ ॥
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होकर खड़ा मज़ार से , बोला एक शहीद ।
दुश्मन के सर काट लूँ , तभी मनाऊं ईद ।
दुश्मन के सर काट लूँ , तभी मनाऊं ईद ।
- राहुल 'राज'