Monday, August 12, 2013

गज़ल ..


मैंने अब जिन्दिगी जीना सीख लिया ।
ज़हर से अश्कों को पीना सीख लिया ।

क्यूँ करूँ भरोसा अब इस दुनियादारी पे ,
अपने हाथों से जख्म सीना सीख लिया ।

बहुत रो लिया मैं तेरी यादों में रात भर ,
अब हर बात पे मुस्कुराना सीख लिया ।

कसम खाई है दुनिया को रोशन करने की ,
मैंने भी दीये की तरह जलना सीख लिया ।

तेज़ हवाओं मुझे डराने की कोशिश न करो,
मैंने अब तूफानों से टकराना सीख लिया ।

- राहुल 'राज' 

हर चेहरे में ...


हर चेहरे में तेरा चेहरा नज़र आता है । 
असर तेरा कुछ गहरा नज़र आता है । 
इक तेरे सिवा कोई बसा नहीं अब तक,
इस दिल पे तेरा पहरा नज़र आता है । 

- राहुल 'राज'