Tuesday, February 12, 2013

महक आज भी है..



                                रफ्ता - रफ्ता हो गयीं दूरियाँ तो क्या ,
                                 उसको पाने की कसक आज भी है ।
                                सीने से लगाया था मुझको कभी उसने,
                                मेरी सांसों में उसकी महक आज भी है ।




Monday, February 11, 2013

मेरी आँखों की झीलों में...


मेरी आँखों की झीलों में, जो नमकीन पानी है ।
जो बीती है मेरे दिल पे , तजुर्बों की कहानी है ।
जो रहती है मेरे दिल में, मेरी धड़कन बनकर ,
वो थोड़ी सी पगली है, वो थोड़ी सी दीवानी है । 

हम (ह - हिन्दू + म - मुसलमान ) एक रहेंगे .....

तू गीता और, मैं कुरान हो जाऊं ।
दो जिस्म और एक जान हो जाऊं ।
मोहब्बत रहे कायम सदा जहां में ,
तू दीवाली और,मैं रमजान हो जाऊं ।
- राहुल 'राज'

राहुल 'राज'


न कोई शीशमहल , न कोई ताज़ हूँ मैं ।
न कोई प्रेमगीत ,न कोई अल्फाज़ हूँ मैं ।
छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में, 
जो लबों तक न आया, वही 'राज़' हूँ मैं ।
- राहुल 'राज'

माँ


हजारों लात खाकर भी, मुझे अमृत सा दूध पिलाती थी ।
अच्छा-अच्छा मुझे खिलाती , खुद भूखी सो जाती थी ।

मेरा रोना सुनकर वो, दौड़ी - दौड़ी आती थी ।
नींद न आती मुझको, लोरी मधुर सुनाती थी ।

सो जाती खुद गीले में, सूखे में मुझे सुलाती थी ।
हल्दी दूध पिलाती जब, चोट मुझे लग जाती थी ।

बुरी नज़र न लग जाए, काला टीका मुझे लगाती थी ।
ठंड लगती अगर खुद को, स्वेटर मुझे पहनाती थी ।

सुबह-सुबह न जाने कैसे, वो जल्दी उठ आती थी ।
टिफिन बनाकर देती , स्कूल मुझे पहुंचाती थी ।

जब मैं घर से बाहर जाता , छुप-छुप कर रोती थी ।
मेरी फ़िक्र करती दिन भर , रात को न सोती थी ।

मेरे थके हारे आने पे ,वो खाना लेकर आती थी
हाथ फेरती मेरे सर पे,वो मंद-मंद मुस्काती थी ।

" माँ "


माँ धरती है , माँ नभ है , माँ ही पाताल है ।
माँ ईश्वर है, माँ मंदिर है, माँ पूजा का थाल है ।

माँ ही गीता की वाणी , माँ में बसी कुरान है । 
माँ ही बाइबल है , माँ गुरुग्रन्थ की जुबान है ।

माँ मंदिर है, माँ मस्ज़िद है, माँ गिरजाघर गुरुद्वारा है ।
माँ जैसा न प्यार किसी का, माँ जैसा न कोई प्यारा है ।

माँ दर्द है , माँ ममता का एक अहसास है ।
माँ रोते बच्चे की भूख, माँ बच्चे की प्यास है।

माँ लोरी है, माँ कविता है, माँ ही संगीत है ।
माँ मोहब्बत है ,माँ इश्क़ है, माँ ही प्रीत है ।

माँ हाथों की मेहदी है , माँ बेटी की विदाई है ।
माँ हिमालय है , माँ सिन्धु सम गहराई है ।

माँ मुझमें, माँ तुझमें, माँ हम-सब में समाई है ।
माँ में सारी दुनिया , माँ कण-कण में समाई है ।

माँ सुबह है, माँ शाम है, माँ ममता का नाम है ।
माँ मक्का है, माँ मदीना है, माँ ही चारों धाम है ।

- राहुल 'राज'