Saturday, June 4, 2011

"बीते पलों के अफसाने लिख रहा हूँ ,

"बीते पलों के अफसाने लिख रहा हूँ ,
 जिंदिगी में तेरे तराने लिख रहा हूँ ||

 काटे नहीं कटते ये दिन और ये रातें ,
 वक़्त कटाने के बहाने लिख रहा हूँ ||

 तेरे बाँहों में उस चौदंवी शब् की रात में,
 देखे थे जो सपने सुहाने लिख रहा हूँ ||

 वो तुझको हँसाना वो तुझको मनाना ,
 तेरे मेरे प्यार की दास्तानें लिख रहा हूँ ||

 कही धुंधली न पड़ जायें वो यादें हमारी ,
 नई कलम से गीत पुराने लिख रहा हूँ ||

 जबसे छोड़ा है तूने तन्हा हमें अकेला ,
 ग़ज़लों में बेवफाई के किस्से लिख रहा हूँ ||
                              
 -राहुल 'राज'