न कोई शीशमहल, न कोई ताज़ हूँ मैं ।
न कोई प्रेमगीत, न कोई अल्फाज़ हूँ मैं ।
छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में,
जो लबों तक न आया,वही 'राज़' हूँ मैं ।
Monday, August 12, 2013
हर चेहरे में ...
हर चेहरे में तेरा चेहरा नज़र आता है । असर तेरा कुछ गहरा नज़र आता है । इक तेरे सिवा कोई बसा नहीं अब तक, इस दिल पे तेरा पहरा नज़र आता है ।
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