Monday, May 6, 2013

" खून का बदला "



शहीद सरबजीत सिंह को समर्पित मेरी कविता " खून का बदला " -- 

फिर एक बेटा छीन लिया, पाकिस्तानी गद्दारों ने । 
फिर भी मुँह तक  न  खोला,  हमारे  सरदारों ने । 

जिसके बेटे की हिफाज़त में, हम 65 करोड़ लुटा बैठे । 
भाईचारे के चक्कर  में,  हम अपना सिर कटा बैठे । 

23 वर्ष तक हर दर्द सहा ,  उस बेचारे निर्दोषी ने । 
किन्तु हमदर्दी न दिखलाई, पाकिस्तानी दोषी ने । 

उसकी माँ बेटी बहना का दर्द, कोई समझ न पाएगा । 
25 लाख देकर 'राहुल' , सरबजीत वापिस न आएगा । 

कभी सिर काटे, कभी पीठ में छुरा खोंपा है । 
दूध पीकर हमारा कुत्ता, हम पर ही भौंका है । 

बहुत हो चुका, और सरबजीत हम न खोएंगे ।  
अब न बिल्कुल  दर्द सहेंगे, अब हम न रोएंगे । 

अब तो भाईचारे की , मिठाइयाँ बाँटना छोड़ दो । 
आँख उठाकर न देखे वो , आँखें उसकी फोड़ दो । 

हर ईंट का जबाब, हमको पत्थर से देना होगा । 
अब खून का बदला, बस खून से ही लेना होगा । 

- राहुल 'राज'  

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