न कोई शीशमहल, न कोई ताज़ हूँ मैं ।
न कोई प्रेमगीत, न कोई अल्फाज़ हूँ मैं ।
छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में,
जो लबों तक न आया,वही 'राज़' हूँ मैं ।
Tuesday, February 12, 2013
महक आज भी है..
रफ्ता - रफ्ता हो गयीं दूरियाँ तो क्या , उसको पाने की कसक आज भी है । सीने से लगाया था मुझको कभी उसने, मेरी सांसों में उसकी महक आज भी है ।
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