Monday, February 11, 2013

" माँ "


माँ धरती है , माँ नभ है , माँ ही पाताल है ।
माँ ईश्वर है, माँ मंदिर है, माँ पूजा का थाल है ।

माँ ही गीता की वाणी , माँ में बसी कुरान है । 
माँ ही बाइबल है , माँ गुरुग्रन्थ की जुबान है ।

माँ मंदिर है, माँ मस्ज़िद है, माँ गिरजाघर गुरुद्वारा है ।
माँ जैसा न प्यार किसी का, माँ जैसा न कोई प्यारा है ।

माँ दर्द है , माँ ममता का एक अहसास है ।
माँ रोते बच्चे की भूख, माँ बच्चे की प्यास है।

माँ लोरी है, माँ कविता है, माँ ही संगीत है ।
माँ मोहब्बत है ,माँ इश्क़ है, माँ ही प्रीत है ।

माँ हाथों की मेहदी है , माँ बेटी की विदाई है ।
माँ हिमालय है , माँ सिन्धु सम गहराई है ।

माँ मुझमें, माँ तुझमें, माँ हम-सब में समाई है ।
माँ में सारी दुनिया , माँ कण-कण में समाई है ।

माँ सुबह है, माँ शाम है, माँ ममता का नाम है ।
माँ मक्का है, माँ मदीना है, माँ ही चारों धाम है ।

- राहुल 'राज'

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