न कोई शीशमहल, न कोई ताज़ हूँ मैं ।
न कोई प्रेमगीत, न कोई अल्फाज़ हूँ मैं ।
छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में,
जो लबों तक न आया,वही 'राज़' हूँ मैं ।
Monday, February 11, 2013
हम (ह - हिन्दू + म - मुसलमान ) एक रहेंगे .....
तू गीता और, मैं कुरान हो जाऊं । दो जिस्म और एक जान हो जाऊं । मोहब्बत रहे कायम सदा जहां में , तू दीवाली और,मैं रमजान हो जाऊं । - राहुल 'राज'
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