Monday, February 11, 2013

राहुल 'राज'


न कोई शीशमहल , न कोई ताज़ हूँ मैं ।
न कोई प्रेमगीत ,न कोई अल्फाज़ हूँ मैं ।
छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में, 
जो लबों तक न आया, वही 'राज़' हूँ मैं ।
- राहुल 'राज'

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