Sunday, March 31, 2013

ग़ज़ल


झूठ कहते है सब कि वो दूर है मुझसे,
बिन बुलाये वो ख्वाबों में चली आती है |

लहरा दे वो जब अपनी घनी जुल्फें,
बिन बुलाये बरसात चली आती है |

महक जाती है उसकी खुशबु से वो गली,
जिस गली से वो मुस्कुराते चली आती है |

अपने-पराये सब साथ छोड़ जाते हैं 'राज',
जब कभी गरीबी मेरे घर चली आती है | 

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