न कोई शीशमहल, न कोई ताज़ हूँ मैं ।
न कोई प्रेमगीत, न कोई अल्फाज़ हूँ मैं ।
छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में,
जो लबों तक न आया,वही 'राज़' हूँ मैं ।
Sunday, March 31, 2013
बेवफ़ा..
जिसको चाहा वही , बेवफ़ा हो गया । न जाने क्यूँ वो हमसे, कफ़ा हो गया । हम बनाते रहे वहाँ , घरोंदे रेत के , एक आई लहर सब , सफ़ा हो गया ।
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