Friday, February 21, 2014

तेरे दिल में


तेरे दिल में अपना मकान रखते हैं |
सच तो ये है सारा जहांन रखते हैं |
हर बात लबों से कहें जरूरी तो नहीं,
खामोश नैन भी इक ज़ुबान रखते हैं |

- राहुल 'राज'
 

दोहे क्रमशः

कलियों ने क्रंदन किया , भंवरे हुए उदास ।  
मधुवन छोड़ा चल पड़ा , फूल फूल के पास ॥ 

नींद न आती रात को , मिले न दिन में चैन । 
पिय के जबसे लड़ गए , इन नैनों से नैन ॥

भूखे किसी फ़कीर को , भोजन कोय कराय । 
'राहुल' चारों धाम का , पुण्य उसे मिल जाय ॥

'राहुल' मुश्किल है बहुत , लिखना मन की पीर । 
कागज हो जाता सजल , कलम बहाए नीर ॥

'राहुल' देखो प्रेम का , बड़ा अजब दस्तूर । 
कम होते हैं फासले , जाते जितनी दूर ॥

उड़ो न तुम ऐसे कभी , जैसे उड़े पतंग । 
ऊपर उठने के लिए , काटे खग के पंख ॥ 

उड़ो शौक से तुम मगर, रखना इतनी खैर । 
छू लो सारा आसमां , रहें जमीं पर पैर ॥ 

साकी तू मुझको पिला , ऐसी आज शराब । 
कभी न आऊँ होश में , कभी न देखूं ख्वाब ॥ 

- राहुल 'राज'

Thursday, December 12, 2013

दोहे

भक्त कहे  भगवान  से , ये कैसा संयोग । 
मुझको तो दाना नहीं , खुद को छप्पन भोग ।। 
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नित्य आइना देखकर , रह जाता हूँ मौन । 
जब ये ही उल्टा कहे , सच बतलाए कौन ।।
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सिर्फ मिठाई मांग ली , दीवाली की रात । 
बच्चा भूखा सो गया , माँ रोई सब रात ॥ 
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आँखों में छाई नमी , होठों पे मुस्कान । 
मात-पिता ने जब किया , निज कन्या का दान ॥ 
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मन्दिर मस्ज़िद सब लखे , घूम लिया हर धाम । 
माँ के आँचल में मिले , हर मज़हब के राम ॥ 
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वर्तमान को देखकर , रोते राधा - श्याम । 
प्रेम गली में हो रहा , प्रेम स्वयं नीलाम ॥ 
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जादूगरनी है उसे , हर जादू का ज्ञान । 
मेरे सर पे हाथ रख , गायब करे थकान ॥
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दूर भले ही तन रहे , मन लेकिन हो साथ । 
शर्त अगर मंजूर हो , तो फिर थामो हाथ ॥ 
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होकर खड़ा मज़ार से , बोला एक शहीद । 
दुश्मन के सर काट लूँ , तभी मनाऊं ईद ।

- राहुल 'राज'

Monday, August 12, 2013

गज़ल ..


मैंने अब जिन्दिगी जीना सीख लिया ।
ज़हर से अश्कों को पीना सीख लिया ।

क्यूँ करूँ भरोसा अब इस दुनियादारी पे ,
अपने हाथों से जख्म सीना सीख लिया ।

बहुत रो लिया मैं तेरी यादों में रात भर ,
अब हर बात पे मुस्कुराना सीख लिया ।

कसम खाई है दुनिया को रोशन करने की ,
मैंने भी दीये की तरह जलना सीख लिया ।

तेज़ हवाओं मुझे डराने की कोशिश न करो,
मैंने अब तूफानों से टकराना सीख लिया ।

- राहुल 'राज' 

हर चेहरे में ...


हर चेहरे में तेरा चेहरा नज़र आता है । 
असर तेरा कुछ गहरा नज़र आता है । 
इक तेरे सिवा कोई बसा नहीं अब तक,
इस दिल पे तेरा पहरा नज़र आता है । 

- राहुल 'राज'

Thursday, June 6, 2013

रूठकर मुझसे तुम, अब किधर जाओगे...


रूठकर मुझसे तुम, अब किधर जाओगे ।
मुझको मालुम है, फिर इधर आओगे ।

चाँदनी रह न पाए, कभी चाँद बिन ,
तितलियाँ फूल के बिन, क्या रह पायेंगीं ?
उड़ न पाएगी चिड़िया, कभी पाँख बिन,
नीर के बिन ये नदियाँ, क्या बह पायेंगीं ?
तुम रहे जो अगर, दूर मुझसे प्रिये,
टूटकर इक पल में , बिखर जाओगे ।

तुम भुला दो मुझे, है ये मुकिंन मगर,
मेरी यादों को , कैसे भुलाओगे तुम।
तेरे ख्वाबों में आऊँगा, रातों को मैं,
देखना है कि कब तक, रुलाओगे तुम ।
हर तरफ तुमको, मैं ही नज़र आऊँगा ,
जाओगे तुम जिधर भी , उधर पाओगे ।
रूठकर मुझसे तुम, अब किधर जाओगे...

- राहुल 'राज'

Monday, May 6, 2013

" खून का बदला "



शहीद सरबजीत सिंह को समर्पित मेरी कविता " खून का बदला " -- 

फिर एक बेटा छीन लिया, पाकिस्तानी गद्दारों ने । 
फिर भी मुँह तक  न  खोला,  हमारे  सरदारों ने । 

जिसके बेटे की हिफाज़त में, हम 65 करोड़ लुटा बैठे । 
भाईचारे के चक्कर  में,  हम अपना सिर कटा बैठे । 

23 वर्ष तक हर दर्द सहा ,  उस बेचारे निर्दोषी ने । 
किन्तु हमदर्दी न दिखलाई, पाकिस्तानी दोषी ने । 

उसकी माँ बेटी बहना का दर्द, कोई समझ न पाएगा । 
25 लाख देकर 'राहुल' , सरबजीत वापिस न आएगा । 

कभी सिर काटे, कभी पीठ में छुरा खोंपा है । 
दूध पीकर हमारा कुत्ता, हम पर ही भौंका है । 

बहुत हो चुका, और सरबजीत हम न खोएंगे ।  
अब न बिल्कुल  दर्द सहेंगे, अब हम न रोएंगे । 

अब तो भाईचारे की , मिठाइयाँ बाँटना छोड़ दो । 
आँख उठाकर न देखे वो , आँखें उसकी फोड़ दो । 

हर ईंट का जबाब, हमको पत्थर से देना होगा । 
अब खून का बदला, बस खून से ही लेना होगा । 

- राहुल 'राज'  

Sunday, March 31, 2013

गज़ल


नम हैं आँखें और, सर झुकाए बैठे हैं |
लगता है आप भी , चोट खाए बैठे हैं |

क्या नशीयत दें ,किसी को आशियाने की ,
हम तो खुद ही ,अपना घर जलाए बैठे हैं |

करीबी लोगों से , जरा सी दूरियां रखना ,
वो मुस्कान के पीछे, खंजर छुपाए बैठे हैं |

दुश्मन करे दगा तो , इतना दर्द नहीं होता,
हम तो अपनों से ही,  चोट खाए बैठे हैं |

वो बदनाम हो जाता, महफिल में 'राज',
शुक्र है हम सारे , राज़ छुपाए बैठे हैं |

ग़ज़ल


झूठ कहते है सब कि वो दूर है मुझसे,
बिन बुलाये वो ख्वाबों में चली आती है |

लहरा दे वो जब अपनी घनी जुल्फें,
बिन बुलाये बरसात चली आती है |

महक जाती है उसकी खुशबु से वो गली,
जिस गली से वो मुस्कुराते चली आती है |

अपने-पराये सब साथ छोड़ जाते हैं 'राज',
जब कभी गरीबी मेरे घर चली आती है | 

माँ


जख्मों को जैसी , दवा लगती है ।
माँ मुझे तेरी , दुआ लगाती है ।
हर रोज उतारी है , माँ ने नज़र ,
मुझे कहाँ बुरी , हवा लगती है ।

बेवफ़ा..


जिसको चाहा वही , बेवफ़ा हो गया ।
न जाने क्यूँ वो हमसे, कफ़ा हो गया ।
हम बनाते रहे वहाँ , घरोंदे  रेत  के  ,
एक आई लहर सब , सफ़ा हो गया ।

" प्रस्ताव गीत "


इस ज़माने से मुझको मिलीं ठोकरें,
आप ही अपना मुझको बना लीजिए । 
कब तक मैं भटकता फिरूं दर-ब-दर,
अपने दिल में मुझको बसा लीजिए ।

चाँद तारे तो, मैं तोड़ सकता नहीं ।
साथ तेरा मगर, छोड़ सकता नहीं ।
थाम लो तुम अगर हाथ मेरे प्रिये,
ये तूफां भी हमें मोड़ सकता नहीं । 
दे सको अगर जन्मों तक साथ मेरा,
हमसफ़र अपना मुझको बना लीजिए ...

ये दीया प्यार का सदा जलता रहे । 
हर जन्म प्यार तेरा मिलता रहे । 
हम न बदलेंगे इस बदल की दौड़ में,
चाहे ये जमाना सारा बदलता रहे । 
मैं रहूँगा सदा तेरी आँखों में प्रिये,
काजल अपना मुझको बना लीजिए...




होली मुबारक..


रामू का  घर जला , यूसुफ़ की दुकान ।

एक धमाके ने ले ली, हजारों की जान ।

मज़हब का नाम न दो , आतंकी को ,

न वो हिंदू होता है, न वो मुसलमान ।

Tuesday, March 5, 2013

गज़ल

        घर जिनके, आसमान के करीब होते हैं ।
      दौलत के अमीर, दिल के गरीब होते हैं ।
                                

      दुश्मनों से नहीं, फ़क़त अपनों से डर है,

      धोखा देते हैं वही ... जो करीब होते हैं ।
                     

     जन्नत मिली किसी को, किसी को दोजख ,

     ये सब ....... अपने-अपने नसीब होते हैं ।
                            

      बच के रहना  , इन हुश्न वालों से 'राज' ,

      ये भला कब ....किसी के हबीब होते हैं ।
              ( हबीब = दोस्त )


Tuesday, February 12, 2013

महक आज भी है..



                                रफ्ता - रफ्ता हो गयीं दूरियाँ तो क्या ,
                                 उसको पाने की कसक आज भी है ।
                                सीने से लगाया था मुझको कभी उसने,
                                मेरी सांसों में उसकी महक आज भी है ।