न कोई शीशमहल, न कोई ताज़ हूँ मैं । न कोई प्रेमगीत, न कोई अल्फाज़ हूँ मैं । छुपा रखा है मुझे, सब ने अपने दिलों में, जो लबों तक न आया,वही 'राज़' हूँ मैं ।
Tuesday, February 12, 2013
Monday, February 11, 2013
माँ
हजारों लात खाकर भी, मुझे अमृत सा दूध पिलाती थी ।
अच्छा-अच्छा मुझे खिलाती , खुद भूखी सो जाती थी ।
मेरा रोना सुनकर वो, दौड़ी - दौड़ी आती थी ।
नींद न आती मुझको, लोरी मधुर सुनाती थी ।
सो जाती खुद गीले में, सूखे में मुझे सुलाती थी ।
हल्दी दूध पिलाती जब, चोट मुझे लग जाती थी ।
बुरी नज़र न लग जाए, काला टीका मुझे लगाती थी ।
ठंड लगती अगर खुद को, स्वेटर मुझे पहनाती थी ।
सुबह-सुबह न जाने कैसे, वो जल्दी उठ आती थी ।
टिफिन बनाकर देती , स्कूल मुझे पहुंचाती थी ।
जब मैं घर से बाहर जाता , छुप-छुप कर रोती थी ।
मेरी फ़िक्र करती दिन भर , रात को न सोती थी ।
मेरे थके हारे आने पे ,वो खाना लेकर आती थी
हाथ फेरती मेरे सर पे,वो मंद-मंद मुस्काती थी ।
अच्छा-अच्छा मुझे खिलाती , खुद भूखी सो जाती थी ।
मेरा रोना सुनकर वो, दौड़ी - दौड़ी आती थी ।
नींद न आती मुझको, लोरी मधुर सुनाती थी ।
सो जाती खुद गीले में, सूखे में मुझे सुलाती थी ।
हल्दी दूध पिलाती जब, चोट मुझे लग जाती थी ।
बुरी नज़र न लग जाए, काला टीका मुझे लगाती थी ।
ठंड लगती अगर खुद को, स्वेटर मुझे पहनाती थी ।
सुबह-सुबह न जाने कैसे, वो जल्दी उठ आती थी ।
टिफिन बनाकर देती , स्कूल मुझे पहुंचाती थी ।
जब मैं घर से बाहर जाता , छुप-छुप कर रोती थी ।
मेरी फ़िक्र करती दिन भर , रात को न सोती थी ।
मेरे थके हारे आने पे ,वो खाना लेकर आती थी
हाथ फेरती मेरे सर पे,वो मंद-मंद मुस्काती थी ।
" माँ "
माँ धरती है , माँ नभ है , माँ ही पाताल है ।
माँ ईश्वर है, माँ मंदिर है, माँ पूजा का थाल है ।
माँ ही गीता की वाणी , माँ में बसी कुरान है ।
माँ ही बाइबल है , माँ गुरुग्रन्थ की जुबान है ।
माँ मंदिर है, माँ मस्ज़िद है, माँ गिरजाघर गुरुद्वारा है ।
माँ जैसा न प्यार किसी का, माँ जैसा न कोई प्यारा है ।
माँ दर्द है , माँ ममता का एक अहसास है ।
माँ रोते बच्चे की भूख, माँ बच्चे की प्यास है।
माँ लोरी है, माँ कविता है, माँ ही संगीत है ।
माँ मोहब्बत है ,माँ इश्क़ है, माँ ही प्रीत है ।
माँ हाथों की मेहदी है , माँ बेटी की विदाई है ।
माँ हिमालय है , माँ सिन्धु सम गहराई है ।
माँ मुझमें, माँ तुझमें, माँ हम-सब में समाई है ।
माँ में सारी दुनिया , माँ कण-कण में समाई है ।
माँ सुबह है, माँ शाम है, माँ ममता का नाम है ।
माँ मक्का है, माँ मदीना है, माँ ही चारों धाम है ।
- राहुल 'राज'
माँ ईश्वर है, माँ मंदिर है, माँ पूजा का थाल है ।
माँ ही गीता की वाणी , माँ में बसी कुरान है ।
माँ ही बाइबल है , माँ गुरुग्रन्थ की जुबान है ।
माँ मंदिर है, माँ मस्ज़िद है, माँ गिरजाघर गुरुद्वारा है ।
माँ जैसा न प्यार किसी का, माँ जैसा न कोई प्यारा है ।
माँ दर्द है , माँ ममता का एक अहसास है ।
माँ रोते बच्चे की भूख, माँ बच्चे की प्यास है।
माँ लोरी है, माँ कविता है, माँ ही संगीत है ।
माँ मोहब्बत है ,माँ इश्क़ है, माँ ही प्रीत है ।
माँ हाथों की मेहदी है , माँ बेटी की विदाई है ।
माँ हिमालय है , माँ सिन्धु सम गहराई है ।
माँ मुझमें, माँ तुझमें, माँ हम-सब में समाई है ।
माँ में सारी दुनिया , माँ कण-कण में समाई है ।
माँ सुबह है, माँ शाम है, माँ ममता का नाम है ।
माँ मक्का है, माँ मदीना है, माँ ही चारों धाम है ।
- राहुल 'राज'
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